रांगेय राघव

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रांगेय राघव


Born
in Agra, India
January 17, 1923

Died
September 12, 1962


रांगेय राघव हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए।आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। वि ...more

Average rating: 3.97 · 211 ratings · 29 reviews · 46 distinct works
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Quotes by रांगेय राघव  (?)
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“The tears of those who cry for others shine more than the diamonds.”
Rangeya Raghav

“यह संसार तो एक विराट समुद्र है। असंख्य ही तो इसमें तरंगें हैं, और इतनी कि उनके स्तरों के नीचे स्तर हैं, और वे अतलांत तक ऐसे ही अपने ही अनुशीलन में डूबती-उतराती चली जाती हैं। परन्तु जब दो लहरें चलती हैं तब वे उठती हैं, गिरती हैं, बल खाती हैं और फिर अलग होती वे एक हो जाती हैं”
रांगेय राघव, रत्ना की बात

“एक तो कराल कलि काल सूल मूल तामें, कोढ़ में की खाजु सी सनीचरी है मीन की। वेद धर्म दूरि गये, भूमि चोर भूप भये, साधु सीद्यमान जानि रीति पाप-पीन की। दूबरे को दूसरो न द्वार, राम दया-धाम! रावरी ही गति बल-विभव-विहीन की। लागैगी पैं लाज वा बिराजमान बिरूदहि,”
रांगेय राघव, रत्ना की बात