रांगेय राघव
Born
in Agra, India
January 17, 1923
Died
September 12, 1962
कब तक पुकारूं
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महायात्रा गाथा
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यशोधरा जीत गई
3 editions
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published
1958
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प्रतिनिधि कहानियाँ
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रत्ना की बात
by
2 editions
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published
2010
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लोई का ताना
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मेरी भव बाधा हरो
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मुर्दो का टीला
by
4 editions
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published
1948
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पतझर
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पथ का पाप
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“यह संसार तो एक विराट समुद्र है। असंख्य ही तो इसमें तरंगें हैं, और इतनी कि उनके स्तरों के नीचे स्तर हैं, और वे अतलांत तक ऐसे ही अपने ही अनुशीलन में डूबती-उतराती चली जाती हैं। परन्तु जब दो लहरें चलती हैं तब वे उठती हैं, गिरती हैं, बल खाती हैं और फिर अलग होती वे एक हो जाती हैं”
― रत्ना की बात
― रत्ना की बात
“एक तो कराल कलि काल सूल मूल तामें, कोढ़ में की खाजु सी सनीचरी है मीन की। वेद धर्म दूरि गये, भूमि चोर भूप भये, साधु सीद्यमान जानि रीति पाप-पीन की। दूबरे को दूसरो न द्वार, राम दया-धाम! रावरी ही गति बल-विभव-विहीन की। लागैगी पैं लाज वा बिराजमान बिरूदहि,”
― रत्ना की बात
― रत्ना की बात