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वाचाघात

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वाचाघात:एक जानलेवा रोग।


वाचाघात (Aphasia) मस्तिष्क की ऐसी विकृति है जिसमें व्यक्ति के बोलने, लिखने तथा बोले एवं लिखे हुए शब्दों को समझाने या प्रकट करने में अनियमितता, अस्पष्टता, एवं स्थायी विकार उत्पन्न हो जाता है।

वाचाघात के मुख्य कारण मस्तिष्क का आम्बोसिस, रक्तस्रोतरोधन (embolism), अर्बुद (tumour), फोड़े (abscess) इत्यादि हैं, जो यदि मस्तिष्क के दाहिने गोलाध्र में हों तो शरीर का बायाँ भाग और यदि मस्तिष्क के बाएँ गोलार्ध में हों, तो शरीर का दाहिना भाग आक्रांत होता है।

सिल्वियन धमनी (Sylvian artery) का आम्बोसिस एवं रक्स्रोतरोधन रोगोत्पत्ति में अधिक सहायक होता है। अर्बुदजन्य वाचाघात एकाएक उत्पन्न होता है। शनै: शनै: वाचाघात की उत्पत्ति मिर्गी, अधकपारी, रक्तमूत्रविषाक्तता (uracmia), उन्मादी का व्यापक पक्षाघात (general paralysis of the insane), जो उपदंश की चतुर्थ अवस्था में उपद्रव स्वरूप होता है, तथा मस्तिष्कशोथ, तंद्रा (encephalitis lethargia) इत्यादि कारणों से होती है।

वाचाघात का वर्गीकरण

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लक्षणों के आधार पर वाचाघात का वर्गीकरण इस प्रकार हुआ है :

  • (1) प्रेरक (motor) वाचाघात में रोगी केवल स्पष्ट रूप से बोल नहीं सकता, पर बोलते समय काम में आनेवाली मांसपेशियों में किसी प्रकार का विकार नहीं होता। इस अवस्था में रोगी केवल छोटे छोटे शब्दों का ही सही उच्चारण कर सकता है।
  • (2) सांकेतिक (nominal) वाचाघात में रोगी पहचानी हुई वस्तु का सही नाम बतलाने में असमर्थ रहता है।
  • (3) अलेखन वाचाघात (agraphia) में लेखन शक्ति का ह्रास हो जाता है।
  • (4) दूषित शब्दोच्चारण वाचाघात (anathna) में रोगी शब्दों का उच्चारण स्पष्ट नहीं कर सकता।
  • (5) मिश्रित वाचाघात (mixed aphasia) में वाचाघात के साथ साथ रोगी के सामान्य बुद्धिविकास में भी शिथिलता आ जाती है।
  • (6) चेष्टा अक्षमता (apraxia) तथा प्रत्यक्ष अक्षमता वाचाघात (agnosia) में चेष्टा अक्षमता के अंतर्गत रोगी कुछ क्लिष्ट कार्य, जैसे बटन लगाना इत्यादि, नहीं कर पाता तथा प्रत्यक्ष अक्षमता में रोगी सामान्य चीजों का ठीक व्यवहार नहीं कर पाता।

निदान एवं उपचार

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वाचाघात के निदान के लिए नाड़ीमंडल की पूर्ण परीक्षा करनी चाहिए तथा इस बात का पता लगाना चाहिए कि रोगी दाहिने हाथ से काम करता है अथवा बाएँ हाथ से। इसके अलावा रोगी से प्रश्नों द्वारा उसकी बुद्धिक्षमता का एवं वाचाघात की तीव्रता आदि का पता लगाते हैं।

इस रोग की साध्यासाध्यता इसपर निर्भर करती है कि मस्तिष्क का कौन सा और कितना भाग आक्रांत हुआ है। अर्बुद और रक्तस्रावजन्य वाचाघात को छोड़कर अन्य कारणों से उत्पन्न वाचाघात में रोग के अच्छे होने की अधिक संभावना रहती है, परंतु प्रत्येक अवस्था में रोग का पुनराक्रमण हो सकता है। वाचाघात के समुचित उपचार के लिए वाक प्रशिक्षक (speech instructor) की मदद लेनी चाहिए तथा कारणों के अनुसार रोग का उपचार करना चाहिए।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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