दिल एक मन्दिर
दिल एक मन्दिर | |
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दिल एक मन्दिर का पोस्टर | |
निर्देशक | सी. वी. श्रीधर |
लेखक | राज बलदेव राज (संवाद) |
अभिनेता |
मीना कुमारी, राजेन्द्र कुमार, राज कुमार |
संगीतकार | शंकर-जयकिशन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
8 मार्च, 1963 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
दिल एक मन्दिर 1963 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसे सी. वी. श्रीधर द्वारा निर्देशित किया गया है।[1] इसमें राजेन्द्र कुमार, मीना कुमारी, राज कुमार और महमूद हैं। फिल्म का संगीत शंकर जयकिशन का है। यह फ़िल्म एक बड़ी हिट रही थी। यह फिल्म तमिल फिल्म नेन्जिल ऑर आलयम (1962) की रीमेक है, जिसका निर्देशन भी श्रीधर ने किया है।
संक्षेप
[संपादित करें]सीता (मीना कुमारी) का विवाह राम (राज कुमार) से हुआ है, जिसे कैंसर है। राम को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसका इलाज डॉ. धर्मेश (राजेन्द्र कुमार) द्वारा किया जाना है। डॉ. धर्मेश सीता का पहला प्यार है और उन दोनों को सीता के पति के सामने बातचीत करने में बहुत असहजता होती है। सीता को संदेह है कि डॉ. धर्मेश उसके प्रति प्रेम के कारण उसके पति को उचित इलाज नहीं देगा। जब उसने उससे यह बात कही तो धर्मेश ने उससे वादा किया कि वह उसके पति को बचाने की पूरी कोशिश करेगा। राम इस वार्तालाप को सुन लेता है और बाद में सीता को सुझाव देता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसे डॉ. धर्मेश से विवाह कर लेना चाहिए।
डॉ. धर्मेश के नेतृत्व में राम की एक बड़ी सर्जरी होनी है। डॉ. धर्मेश इस भावना से ग्रस्त हैं कि वह इस सर्जरी में असफल होने का जोखिम नहीं उठा सकते। क्योंकि ऐसा होने पर लग सकता है कि वह सीता के कारण उसके पति को मार दिए। वह लंबे समय तक उचित भोजन और नींद के बिना, सर्जरी की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत करता है। आख़िरकार सर्जरी होती है और डॉ. धर्मेश ऑपरेशन थिएटर से बाहर आते हैं। वह सीता को बताते हैं कि ऑपरेशन सफल रहा और उसका पति सुरक्षित है। वह कुछ कदम आगे बढ़ता है और गिर जाता है। सर्जरी की तैयारी के लिए कई दिनों की कड़ी मेहनत का असर होने लगता है और उसकी मौके पर ही मौत हो जाती है। अंतिम दृश्य में राम और सीता, डॉ. धर्मेश की स्मृति में बने एक अस्पताल के उद्घाटन पर मौजूद होते हैं। डॉ. धर्मेश की मां उसकी प्रतिमा का उद्घाटन करती हैं और सभी ने वहां फूल चढ़ाए।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- मीना कुमारी — सीता
- राजेन्द्र कुमार — डा. धर्मेश
- राज कुमार — राम
- महमूद — लल्लू लाल
- शुभा खोटे — मैनावती
- मनमोहन कृष्णा — फिलिप
- अचला सचदेव — धर्मेश की मां
- बेबी पदमिनी — उमा
संगीत
[संपादित करें]सभी शंकर-जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "जूही की कली मेरी लाड़ली" | शैलेन्द्र | सुमन कल्याणपुर | 4:15 |
2. | "हम तेरे प्यार में" | हसरत जयपुरी | लता मंगेशकर | 4:46 |
3. | "दिल एक मन्दिर है" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी, सुमन कल्याणपुर | 4:24 |
4. | "तुम सब को छोड़कर" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी | 3:56 |
5. | "रुक जा रात ठहर जा चंदा" | शैलेन्द्र | लता मंगेशकर | 4:11 |
6. | "याद ना जाये बीते दिनों की" | शैलेन्द्र | मोहम्मद रफ़ी | 4:14 |
7. | "महफ़िल में शमा चमकी" | हसरत जयपुरी | मन्ना डे, मोहम्मद रफ़ी | 6:05 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Dil Ek Mandir". Zee Business. अभिगमन तिथि 7 अगस्त 2023.