अलका याज्ञिक
अलका याज्ञिक | |
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पृष्ठभूमि | |
जन्म | कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत |
अलका याग्निक भारतीय सिनेमा की एक प्रसिद्ध पार्श्वगायिका हैं।[1] वे हिंदी सिनेमा में 4 दशकों तक अपनी गायकी के लिए विख्यात हैं।[2] हिंदी सिनेमा में वे सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली पांचवी पार्श्वगायिका हैं। उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार के ३६ नामांकनों में से ७ बार पुरस्कार मिल चुका है जो कि खुद में एक रिकॉर्ड है। उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त है। साथ ही उनके २० गाने बीबीसी के "बॉलीवुड के श्रेष्ठ ४० सदाबहार साउंडट्रैक" में शामिल हैं। उनके कुछ हिट गानों में से हैं — "कुछ कुछ होता है", "टिप टिप बरसा पानी", "परदेसी परदेसी", "छम्मा छम्मा", "पूछो ज़रा पूछो", "एक दो तीन", "चाँद छुपा बादल में", "लाल दुपट्टा", "मुझको राणाजी" और "बाज़ीगर ओ बाज़ीगर"।
She Has been Diagnosed With Rare Hearing Loss Syndrome..
जीवन
[संपादित करें]अलका 20 मार्च 1966 को कोलकाता में एक गुजराती परिवार में पैदा हुई। उस की माता शोभा याग्निक गायक थीं। इन्होंने ने 6 साल की उम्र में ही कोलकाता रेडीयो के लिए गाना शुरू कर दिया था। 10 साल की उम्र में वो मुंबई स्थानांतरित हो गयीं और वहीं से वो गायन के क्षेत्र में तरक्की की राह पर अग्रसर हुई। अलका ज़्यादातर बॉलीवुड की फिल्मों के लिए गाती है। वो अब तक 700 फिल्मों के लिए गीत गा चुकी है। इन्होंने कुमार सानु व उदित नारायण के साथ ज्यादा गीत गाये हैं। कुमार सानु के साथ गाये गये उनके जुगलबंदी गीत श्रोताओं द्वारा बहुत पसंद किये गये।[3]
पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | गीत | फिल्म | संगीत निर्देशक | गीतकार |
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1989 | "एक दो तीन" | तेज़ाब | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | जावेद अख्तर |
1994 | "चोली के पीछे" ईला अरुण के साथ साझा |
खलनायक | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | आनंद बख्शी |
1998 | "मेरी महबूबा" | परदेस | नदीम-श्रवण | आनंद बख्शी |
2000 | "ताल से ताल" | ताल | ए॰ आर॰ रहमान | आनंद बख्शी |
2001 | "दिल ने ये कहा है दिल से" | धड़कन | नदीम-श्रवण | समीर |
2002 | "ओ रे छोरी" | लगान | ए॰ आर॰ रहमान | जावेद अख्तर |
2005 | "हम तुम" | हम तुम | जतिन-ललित | प्रसून जोशी |
वर्ष | गीत | फिल्म | संगीत निर्देशक | गीतकार |
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1993 | "घूँघट की आड़ से" | हम हैं राही प्यार के | नदीम-श्रवण | समीर |
1998 | "कुछ कुछ होता है" | कुछ कुछ होता है | जतिन-ललित | समीर |
अल्का याग्निक ने 1985 में भोजपरी फिल्म में गाने गाए जिसमें एक सोहर गीत "युग युग जिया तू लालानवा" काफी पसंद किया गया,इस गाने को आज भी सोहर गीत का सबसे अच्छा गीत के रूप में पसंद किया जाता है।
बाहरी कड़ियाँ
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- ↑ "क्यों फिल्मफेयर अवॉर्ड में एक ही गायिका के नॉमिनेट हुए थे सारे गाने". फर्स्टपोस्ट. 20 मार्च 2018. मूल से 20 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जून 2018.
- ↑ "लता और आशा के आगे टिकी ये सिंगर, सबसे ज्यादा गाने गाने का रिकॉर्ड". राजस्थान पत्रिका. 25 फरवरी 2017. मूल से 4 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मार्च 2017.
- ↑ "About Me". Alka Yagnik. 2008. मूल से 5 सितंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-05-03.