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वर्णमाला

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वर्णमाला, हिंदी के दु शब्द वर्ण + माला" स मीली क बनलो छै। या हिंदी भाषा म वर्णो के व्यवस्थित समूह क वर्णमाला कहलो जाय छै। हिन्दी वर्णमाला Archived २०२३-०३-१२ at the Wayback Machine


व्यञ्जन:-

क, ख, ग, घ, ङ (क़, ख़, ग़‚nvbbn

च, छ, ज, झ, ञ (ज़, झ़‚ ञ़)

ट, ठ, ड, ढ, ण (ड़, ढ़‚ ण़)

त, थ, द, ध, न (त़‚ थ़‚ द़‚ ध़‚ ऩ)

प, फ, ब, भ, म (प़‚ फ़‚ ब़‚ म़‚)

य, र, ल, ळ‚ व (य़‚ ऱ‚ ल़‚ ऴ‚ व़)

श, ष, ॺ‚ स, ह (श़‚ ष़‚ स़‚ ह़)

संयुक्त व्यञ्जन- क्ष, त्र, ज्ञ, द्य‚ श्र

स्वर : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है।

व्यञ्जन : स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें 'व्यञ्जन' कहा जाता है।

प्राय: व्यञ्जनों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है। हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को व्याकरण में दो भागों में विभक्त किया गया है — स्वर और व्यञ्जन।

पञ्चमाक्षर अर्थात वर्णमाला में किसी वर्ग का पाँचवाँ व्यञ्जन। जैसे- 'ङ', 'ञ', 'ण', 'न', 'म' आदि। आधुनिक हिन्दी में पञ्चमाक्षरों का प्रयोग बहुत कम हो गया है और इसके स्थान पर अब बिन्दी (ं) का प्रचलन बढ़ गया है।

विशेष :- भाषा की सार्थक इकाई वाक्य हैं। वाक्य से छोटी इकाई उपवाक्य , उपवाक्य से छोटी इकाई पदबन्ध , पदबन्ध से छोटी इकाई पद , पद से छोटी इकाई अक्षर और अक्षर से छोटी इकाई ध्वनि होती है ध्वनि को वर्ण भी कहते हैं।

जैसे :- पुन: = इसमें दो अक्षर हैं – पु , नः । लेकिन इसमें वर्ण ५ हैं = प् , उ , न्, अ, ह् ।

तिब्बती वर्णमाला

हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है। इसी ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है। वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर ५२ वर्ण होते हैं। इनमें ११ स्वर और ४१ व्यञ्जन होते हैं। लेखन के आधार पर ५४ वर्ण होते हैं इसमें १३ स्वर , ३५ व्यञ्जन तथा ४ संयुक्त व्यञ्जन होते हैं।

वर्णमाला के दो भाग होते हैं —

१. स्वर २. व्यञ्जन

1. स्वर क्या होता है :- जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं।

व्यञ्जन क्या होता है :- जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं उन्हें व्यञ्जन कहते हैं। हर व्यञ्जन के उच्चारण में अ स्वर लगा होता है। अ के बिना व्यञ्जन का उच्चारण नहीं हो सकता। वर्णमाला में कुल ४५ व्यञ्जन होते हैं।

क वर्ग : क , ख , ग , घ , ङ

च वर्ग : च , छ , ज , झ , ञ

ट वर्ग : ट , ठ , ड , ढ , ण

त वर्ग : त , थ , द , ध , न

प वर्ग : प , फ , ब , भ , म

य वर्ग : य , र , ल , ळ‚ व

श वर्ग : श , ष , ॺ‚ स , ह

संयुक्त व्यञ्जन : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र

देवनागरी लिपि के वह व्यञ्जन जिसके नीचे नुक़्ता लगाया जाता है — क़, ख़, ग़, घ़‚ ङ़‚ च़‚ ज़, झ़, ड़, ढ़, ण़‚ थ़, द़, ऩ‚ फ़, ब़‚ म़‚ य़‚ ऱ‚ ल़‚ ऴ‚ श़‚ स़

यह वर्णमाला देवनागरी लिपि में लिखी गई है। देवनागरी लिपि में संस्कृत , मराठी , कोंकणी , नेपाली , मैथिलि भाषाएँ लिखी जाती हैं। हिन्दी वर्णमाला में ॠ , ऌ , ॡ , ळ का प्रयोग नहीं किया जाता है।

यह चीनी भाषा का एक चित्रलिपि-आधारित शब्द है, जिसका अर्थ 'किताब' या 'लेख' होता है - यह अक्षर नहीं है और इसका सम्बन्ध किसी ध्वनि से नहीं है - जापान में इसे "काकू" पढ़ा जाता है जबकि चीन में इसे "शू" पढ़ा जाता है

किसी एक भाषा या अनेक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त मानक प्रतीकों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला (वर्णों की माला या समूह) कहते हैं। उदाहरण के लिए देवनागरी की वर्णमाला में अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः  क  ख  ग  घ  ङ। च  छ  ज  झ  ञ। ट  ठ  ड  ढ  ण। त  थ  द  ध  न। प  फ  ब  भ  म। य  र  ल  व। श  ष  स  ह को 'देवनागरी वर्णमाला' कहते हैं और a b c d ... z को रोमन वर्णमाला (रोमन ऐल्फ़बेट) कहते हैं।

वर्णमाला इस मान्यता पर आधारित है कि वर्ण, भाषा में आने वाली मूल ध्वनियों (स्वनिम या फ़ोनीम) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये ध्वनियाँ या तो उन अक्षरों के वर्तमान उच्चारण पर आधारित होती हैं या फिर ऐतिहासिक उच्चारण पर। किन्तु वर्णमाला के अलावा लिखने के अन्य तरीके भी हैं जैसे शब्द–चिह्न (logography), सिलैबरी आदि। शब्द-चिह्नन में प्रत्येक लिपि चिह्न पूरे-के-पूरे शब्द, रूपिम (morpheme) या सिमान्टिक इकाई को निरूपित करता है। इसी तरह सिलैबरी में प्रत्येक लिपि चिह्न किसी अक्षर (syllable (वर्ण नहीं)) को निरूपित करता है।

वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते। जैसे- अ, ई, व्, च्, क्, ख् इत्यादि।

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, इसके और खंड नहीं किये जा सकते। वर्णमाला- वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

अन्य विधियों में भावचित्रों का इस्तेमाल होता है (जैसा की चीनी भावचित्रों में) या फिर चिह्न शब्दांशों को दर्शाते हैं। इसी तरह, प्राचीन मिस्री भाषा एक चित्रलिपि थी जिसमें किसी वर्णमाला का प्रयोग नहीं होता था क्योंकि उसकी लिपि का हर चिह्न एक शब्द या अवधारणा (Concept) दर्शाता था।