Dhanda Yakshini Sadhna
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Suriya Sadhana
ल मी के जतने भी व प होते है, उन सभी व प का आवाहन व वशेष पूजा क जाती है, ाण त ा या संप क
जाती है, दश दशा का क लन कया जाता है जससे कसी भी बाहरी बाधा से साधना म व न ना पड़े और जो भी संक प
साधक कर, उसका फल साधक को त काल अव य ही ा त हो |
इस तां ो साधना का मूल वधान तो एक ही है, परंतु आगे येक आ थक सम या के स ब म अलग अलग म जप है |
सदगु दे व ारा द --
अब साधक सबसे पहले कु बेर पूजन स कर, अपने सामने कु बेर यं ा पत कर उसका च दन से पूजन कर एक माला
न न कु बेर म का जप कर
कु बेर म
|| ॐ य ाय कु बेराय धनधा या धपतये धनधा यसमृ मे दे ह दापय वाहा ||
त प ात् सव थम एक थाली म “ॐ सवश कमलासनाय नमः” लख और उस पर पु प क पंखु ड़यां रख, त प ात् इस
पर धनदा र त या य णी यं , या अ सरा य णी म डल यं ा पत कर च दन लेपन कर और सुगं धत पु प अ पत कर
संक प व नयोग संप कर |
ाण त ा के ारा जीव ापना क जाती है व सा ात य णी का आवाहन कया जाता है, इसम अपने चारो ओर जल
छड़के तथा न न म ारा आवाहन कर-
ॐ आं यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहं ीध दे रीयं य सव या ण इह ता न |
ीधा दे री इहाग े ह त ||
ॐ धनदायै नम :
ॐ गायै नम :
ॐ चंचलायै नम :
ॐ मंजुघोषायै नम :
ॐ प ायै नम :
ॐ महामायै नम :
ॐ सु दय नम :
ॐ ा यै नम :
ॐ व ायै नम :
ॐ कमलायै नम :
ॐ अभयदायै नम :
ॐ उमायै नम :
ॐ कामदायै नम :
ॐ महाबलायै नम :
ॐ काम यायै नम :
ॐ चपलायै नम :
ॐ सवश यै नम :
ॐ सव य नम :
ॐ मंगलायै नम :
ॐ ने ायै नम :
ॐ व रतायै नम :
ॐ सुग ायै नम :
ॐ वारा ै नम :
ॐ ॐ कराल भैर ै नम :
ॐ सर व यै नम :
ॐ चामय नम :
ॐ ह र यायै नम :
ॐ वरदायै नम :
ॐ सुप कायै नम :
ॐ महाल यै नम :
ॐ ध
ु ायै नम :
ॐ धनुधरायै नम :
ॐ गु ा य नम :
ॐ लीलायै नम :
ॐ ामय नम :
ॐ माहे य नम :
इस कार पूजन कर साधक य णी का यान करे, तथा य णी य व च के सामने खीर का भोग लगाये, इसके अ त र
घी, मधु तथा श कर का भोग लगाय |
कु छ थ
ं म यह भी व णत है क साधक धनदा र त या यं के नीचे अपना फोटो अथवा अपना नाम अ गंध से कागज़ पर
लख कर रख दे |
म -
|| ॐ रं धं धनदे र त ये वाहा ||
यह धनदा साधना का मूल म है, १०० माला म जप करना है, य द आसन स ा नह है अथात एक ही दन म साधना य द
संप न कर सक तो ,
इस साधना का ११ दन का संक प ल और इसे त दन १००८ म का जप यानी ११ माला जप करते ए ११ दन म
साधना संप कर, इस तरह स ूण योग कु ल ११ दन का हो जायेगा | तो साधना करने का ण संक प ल और--
धनदा र त या य णी योग (भाग २)
यामल तं म व णत है क धनदा र त या य णी के साथ य द काम दे व का पूजन कया जाये (जो क आप सबने कया
ही है) तो दे व अ यंत स होती ह व साधक के सांसा रक जीवन के सभी मनोरथ को पूण करती है | चाहे वो क या ारा
े प त क ा त हेतु ए हो या कसी भी रोगी के ारा शारी रक दोष और बलता का नाश करने हेतु हो | कामदे व ओर
र त या य णी के स म लत पूजन से साधक वयं कामदे व के सामान सौ दय व पूणता भी ा त कर सकता है |
अतः आव यकता है इस वशेष ान को पूण मा णकता के साथ समझे, परख, वयं य या को संप कर और
अपने जीवन को समृ , सुसंप व वैभवशाली बनाय |
· ऋण मोचन योग
· आका मक धन ा त हेतु
· ापार एवं काय वृ हेतु
1. ऋण मोचन हेतु
||ॐ मां दे ह धनदे र त ये वहा ||
Aum hreem shreem maam dehi dhanade ratipriye swaha
2. आक मक धन ा त हेतु
||ॐ ॐ माम ऋण य मोचय मोचय वाहा ||
इन योग को संप करने के लए जो नयम मूल साधना के ह उ ही को संप करना चा हए तथा मूल म क एक माला
करने के बाद स बं धत म क 125 माला एक दन म ही सप करके योग पूण कर |