Importance and Procedure of Giving Water To Surya
Importance and Procedure of Giving Water To Surya
Importance and Procedure of Giving Water To Surya
Dear Readers,
I am back with my latest post. It took me a lot of time to write this post
due to it's length. (Android users who are watching this post through my app (Astro Junction
App) on their smartphones, should click on the title of the post above to see the complete post.)
This post is on Aditya Hridaya Stotra which means heart of Sun. This is
the most powerful prayer for planet Sun. If Sun is malefic in your birth
chart or you are not getting good results corresponding to Sun. You can
take help of this stotra. I have been personally benefited by this Stotra.
Please recite Gayatri mantra for 3 times before starting to chant this
stotra and 3 times again after you finish it. As mentioned below in the
stotra that the one who recites it daily is never troubled by enemies, is
able to conquer them. Also, all worries, anxieties and fears vanish. It
gives peace of mind, confidence and prosperity. There are other
countless benefits of this stotra. The text in red below is the actual
mantra(stotra) and the text in black is the Hindi and English translation.
You can read more posts related to planet Sun by clicking on the links
below.
प्रिय पाठकों
मैं आज अपनी नयी पोस्ट के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ । इस पोस्ट को लिखने में
मझ
ु े काफी समय लगा क्योंकि यह काफी लम्बी पोस्ट थी । यह पोस्ट आदित्य हृदय
स्तोत्र के बारे में है जिसका मतलब है सर्य
ू का ह्रदय । सर्य
ू दे व कि यह सबसे प्रभावशाली
प्रार्थना है । अगर आपको सूर्य ग्रह से सम्बंधित अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे या यह
आपकी कंु डली में अशुभ है तो आप इस मंत्र का सहारा ले सकते हैं । मैंने खुद भी इस
स्तोत्र के बहुत अच्छे परिणाम अनुभव किया हैं । इस स्तोत्र को जपने से पहले ३ बार
गायत्री मंत्र का जप करें और इस स्तोत्र को परू ा जपने के बाद फिर से ३ बार गायत्री मंत्र
का जप करें । जैसा कि स्तोत्र में भी कहा गया है कि जो इस स्तोत्र को रोज़ जपता है
उसके सारे दःु ख, सब चिंताएं समाप्त हो जाती हैं । वो अजेय हो जाता है और शत्रु उससे
परास्त हो जाते हैं । इसके जप से मानसिक शान्ति, आत्मविश्वास और समद्धि
ृ मिलती
है । इसके और भी कई अनगिनत फायदे हैं । नीचे लाल रं ग में दिया हुआ मंत्र(स्तोत्र) है
और जो काले रं ग में दिया हुआ है वह हिंदी और अंग्रेज़ी रूपांतरण है ।
सूर्य से सम्बंधित नीचे दी हुई पोस्ट भी आप पढ़ सकते हैं ।
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#
3 'O Rama', 'O Mighty armed elegant Rama', listen carefully to the
eternal secret by which, 'O my child', you shall conquer all your enemies
on the battle field and win against your adversaries.
3 सबके ह्रदय में रमन करने वाले महाबाहो राम ! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सन
ु ो!
वत्स ! इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रओ
ु ं पर विजय पा जाओगे ।
आदित्यहृदयम ् पण्
ु यम सर्वशत्र-ु विनाशनम ।
जयावहम ् जपेन्नित्य-मक्षय्यम परमम ् शिवम ् ॥ 4
रश्मिमन्तम समद्
ु यन्तम दे वासरु -नमस्कृतम ् ।
पज
ू यस्व विवस्वन्तम भास्करम ् भव
ु नेश्वरम ् ॥ 6
6 Worship the sun-god, the ruler of the worlds and lord of the universe,
who is crowned with effulgent rays, who appears at the horizon and
brings light, who is revered by the denizens of heaven (devas) and
asuras alike.
6 भगवान ् सर्य
ू अपनी अनंत किरणों से सश
ु ोभित हैं । ये नित्य उदय होने वाले, दे वता
और असुरों से नमस्कृत, विवस्वान नाम से प्रसिद्द, प्रभा का विस्तार करने वाले और
संसार के स्वामी हैं । तुम इनका रश्मिमंते नमः, समुद्यन्ते नमः, दे वासुरनमस्कृताये
नमः, विवस्वते नमः, भास्कराय नमः, भुवनेश्वराये नमः इन मन्त्रों के द्वारा पज
ू न
करो।
7 संपूर्ण दे वता इन्ही के स्वरुप हैं । ये तेज़ की राशि तथा अपनी किरणों से जगत को
सत्ता एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाले हैं । ये अपनी रश्मियों का प्रसार करके दे वता और
असुरों सहित समस्त लोकों का पालन करने वाले हैं ।
10 He is the Son of Aditi (the mother of creation), the Sun God who
transverser the heavens, he is of brilliant golden color, the possessor of
a myriad rays, by illuminating all directions he is the maker of daylight.
He is the all pervading, shining principle, the dispeller of darkness,
exhibiting beautiful sight with golden hue.
11 He has seven horses yoked to his Chariot, shines with brilliant light
having infinite rays, is the destroyer of darkness, the giver of happiness
and prosperity, mitigator of the sufferings and is the infuser of life. He is
the Omnipresent One who pervades all with immeasurable amount of
rays.
14 He, whose form is circular and is colored in yellow and red hues, is
intensely brilliant and enegetic. He is a giver of heat, the cause of all
work, of life and death. He is the destroyer of all and is the Omniscient
one sustaining the universe and all action.
नक्षत्रग्रहताराणा-मधिपो विश्वभावनः ।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्नमोस्तत
ु े ॥ 15
15 He is the lord of the constellations, stars and planets and the origin of
every thing in the universe. Salutations to Aditya who appears in twelve
forms (in the shape of twelve months of the year) and whose glory is
described in his twelve names.
ब्रह्मेशानाच्यत
ु ेषाय सर्या
ू यादित्यवर्चसे ।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपष
ु े नमः ॥ 19
22 रघन
ु न्दन ! ये भगवान ् सर्य
ू ही संपर्ण
ू भतू ों का संहार, सष्टि
ृ और पालन करते हैं । ये
अपनी किरणों से गर्मी पहुंचाते और वर्षा करते हैं ।
23 Salutations to the Lord who abides in the heart of all beings keeping
awake when they are asleep. Verily he is the Agnihotra , the sacrificial
fire and the fruit gained by the worshipper of the agnihotra.
23 ये सब भूतों में अन्तर्यामी रूप से स्थित होकर उनके सो जाने पर भी जागते रहते हैं
। ये ही अग्निहोत्र तथा अग्निहोत्री पुरुषों को मिलने वाले फल हैं ।
24 The Sun God (Ravi) is the origin and protector of the four Vedas (Rig,
Yajur, Sama, and Atharva), the sacrifices mentioned in them and the
fruits obtained by performing the sacrifices. He is the Lord of all action in
this universe and decides the Universal path.
|फलश्रति
ु |
|Falashruti|
26 If you worship this lord of the universe, the God of all Gods, with
concentrated mind and devotion by reciting this hymn (Aditya-Hridayam)
thrice, you will emerge victorious in the battle.
26 इसलिए तम
ु एकाग्रचित होकर इन दे वाधिदे व जगदीश्वर कि पज
ू ा करो । इस
आदित्यहृदय का तीन बार जप करने से तम
ु यद्ध
ु में विजय पाओगे ।
27 O mighty armed one, you shall truimph over Ravana this very
moment. After blessing Lord Rama thus, and predicting that He would
slay (the demon) Ravana, sage Agastya took leave and returned to his
original place.
30 Lord Rama thus cheered, seeing Ravana coming to fight, put forth all
his effort with a determination to kill him. (Ravana)
अथ रवि-रवद-न्निरिक्ष्य रामम
मुदितमनाः परमम ् प्रहृष्यमाण: ।
निशिचरपति-संक्षयम ् विदित्वा
सुरगण-मध्यगतो वचस्त्वरे ति ॥ 31
31 Then knowing that the destruction of Ravana was near, the Sun-God
Aditya, surrounded by all the Gods in heaven, looked at Rama with
delighted mind and exclaimed 'Hurry up' - 'Be quick'.
31 उस समय दे वताओं के मध्य में खड़े हुए भगवान ् सूर्य ने प्रसन्न होकर
श्रीरामचन्द्रजी की और दे खा और निशाचरराज रावण के विनाश का समय निकट
जानकर हर्षपर्व
ू क कहा - 'रघन
ु न्दन ! अब जल्दी करो' ।
इस प्रकार भगवान ् सूर्य कि प्रशंसा में कहा गया और वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड
में वर्णित यह आदित्य हृदयम मंत्र संपन्न होता है ।
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