भारत की आज़ादी के साथ ही, सरकार एक सीक्रेट प्रोजेक्ट “द गेटवे ऑफ़ पास्ट एंड फ़्यूचर” की शुरुआत हिमाचल के तीर्थन वैली में एक लैब बनवाकर करती है। यहाँ ऐसी मछलियाँ तैयार की जाती हैं, जिनकी आँखों में इंसान अपना माज़ी या मुस्तक़बिल देख सकता है। वैसी ही एक सुनहरी मछली की वजह से अल्मा और अबीर मुसलसल एक-दूसरे के ख़्वाब में आते और इश्क़ में पड़ जाते हैं। यही सिलसिला एक ऐसी कहानी में तब्दील होता है जिसे पाठक पूरी पढ़कर ही दम लेंगे! लेकिन क्या कहानियाँ पूरी हो पाती हैं...? और इश्क़...?
"इस नॉवेल में हमारा समाज, इन्सानी रिश्ते और रिश्तों की उलझनें एक नए ढंग में सामने आती हैं। त्रिपुरारि ने लव-स्टोरी को साइंस-फ़िक्शन की शक्ल अता की है और अपने लिए एक नई और अलग राह तलाश की है। साइंस-फ़िक्शन हमारे यहाँ कम लिखा जाता है, ख़ुशी है त्रिपुरारि ने इस तरफ़ संजीदगी से तवज्जोह दी है। उम्मीद है उनका ये नॉवेल साइंस-फ़िक्शन में एक संग-ए-मील साबित होगा। - रहमान अब्बास
त्रिपुरारि के लेखन में ग़ज़ब सम्मोहन है। वो अपनी भाषा के साथ-साथ कथ्य से भी पाठकों को अपने मोहपाश में बाँध लेते हैं। उनके इस उपन्यास में प्रेम का एक अनूठा संसार तो खुलता है, साथ ही ये एक ऐसी कथाभूमि पर गढ़ा गया है जो अचंभित भी करता है। - अनंत विजय
Tripurari Kumar Sharma is an Indian poet and fiction writer. He studied Hindi and Urdu literature at University of Delhi and then pursued MA in mass communication. He is the author of Osak Bunn, North Campus and Aakhiri Ishq.
In 2017, he received Yourquote Writing Fellowship and in 2018, won Lit-O-Fest best manuscript contest award. In 2019, his poetry was included in Maharashtra State Board class 11th and in 2020, Bharti Bhawan’s class 8th Hindi textbook.
Tripurari’s numerous songs, television shows and films have been released. He lives in Mumbai.
कहने को तो यह किताब एक साइंस फिक्शन थी, लेकिन इसे पढ़ कर कहीं से भी नहीं लगा की इसमें थोड़ा बहुत भी विज्ञान दिखाया गया है। साइंस फिक्शन एक बहुत अलग genre है जो किसी भी तरह से इस किताब के लिए फिट नहीं बैठता।
किताब की कहानी है एक लड़का और एक लड़की की, जो एक दूसरे से ख्वाबों में मिलते हैं और यही ख्वाब में मिलने को साइंस फिक्शन कहा गया है। हालांकि ख्वाब में मिलने के पीछे का विज्ञान, या कारण भी ठीक से नहीं बताया है लेखक ने। लड़का लड़की 2 साल तक केवल ख्वाबों में मिलते हैं, वही प्यार हो जाता है, वहीं साथ जीने मरने की कसमें खा ली जाती हैं, और तो और ख्वाबों में ही ब्रेकअप भी हो जाता है, जिसके दुख को लिए दोनों अगले दस साल तक तड़पते रहते हैं, लेकिन ख्वाबों के बाहर एक बार भी मिलने या फिर बात करने की भी नहीं सोचते। दोनों के असल जीवन में उस ख्वाबी मुहब्बत का क्या असर होता है, कैसे वो खुद को ख्वाबों से जोड़ के रखते है, और भी ढेर सारी जरूरी बातें जो कहानी को अच्छे तरीके से कहने के लिए जरूरी होती , वो सब नहीं कही गई है इस किताब में। लड़का जब भी सोता है, तो वो ख्वाबों में लड़की से मिलता है, लेकिन क्या दोनों एक समय पर सोते और जागते है, एक के सोते रहने से और दूसरे के जाग जाने से ख्वाब में इनकी चलती कहानी में क्या होता होगा, इस तरह के कई सवाल अधूरे पाठक के मन में बने रहते हैं।
किताब में बेवजह के उर्दू शब्दों से भी मैं परेशान रहा। कुछ किताबें होती हैं जिनमे आपको उर्दू पढ़ते वक्त खलता नहीं, लेकिन इस किताब के खत्म होते होते आपको कुछ शब्दों से नफरत हो सकती है, जो बेवजह हर दूसरे पन्ने पर आ जाते है। कुछ अच्छा कहना हो तो मैं बस लेखक की मेहनत की तारीफ करूंगा जिन्होंने अपनी पूरी कोशिश की एक अलग तरह की कहानी परोसने की, लेकिन शायद किताब थोड़ी ज्यादा लंबी हो गई। मुझे यह किताब पढ़कर बिलकुल भी मज़ा नहीं आया। अगर आप कुछ हल्का फुल्का प्रेम कहानी पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ सकते हैं लेकिन ज्यादा उम्मीद लगाना बेमानी होगी।