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Hindi BHasha Sujhaw aur Vimarsh
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Ebook158 pages1 hour

Hindi BHasha Sujhaw aur Vimarsh

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About this ebook

Engineer by profession from Bilaspur in erstwhile Madhya Pradesh , Now Chhattisgarh, Mr. M. R. Iyengar is from a born in Andhra Pradesh a non Hindi speaking area having flair in languages like Telugu, Bengali, Punjabi Gujarati and of course Hindi besides English. He writes in Hindi from 1968 i.e. at the age of 13. His main field is poetry though he has involvement also in Stories and articles pertaining to Hindi language, current affairs and social issues. He is published in magazines and news papers. So far he has so far published Seven (7) books all in Hindi language – Two are exclusive for poetry, One for short stories,

LanguageEnglish
PublisherBook rivers
Release dateJul 21, 2022
ISBN9789355152251
Hindi BHasha Sujhaw aur Vimarsh

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    Book preview

    Hindi BHasha Sujhaw aur Vimarsh - Book rivers

    माडभूषि रंगराज अयंगर

    प्रकाशकः-

    बुक रिवर्स

    वेबसाइट :- www.bookrivers.com

    प्रकाशक ईमेल :- [email protected]

    मोबाइल :- +91-9695375469 

    प्रकाशन वर्ष :- 2022   

    मूल्य :- 250 /- रूपये

    ISBN :- 978-93-5515-225-1  

    कॉपीराइट©:- माडभूषि रंगराज अयंगर

    यह पुस्तक इस शर्त पर विक्रय की जा रही है कि लेखक की पूर्वानुमति के बिना इसे  प्रकाशित कर बेचा या किराए पर नहीं दिया जा सकता तथा जिल्द बंद या खुले किसी अन्य रूप में पाठकों के मध्य इसका वितरण नहीं किया जा सकता। ये सभी शर्तें पुस्तक के खरीददार पर भी लागू होती हैं। इस सम्बन्ध में सभी प्रकाशनाधिकार सुरक्षित हैं। इस पुस्तक का आंशिक रूप से पुनः प्रकाशन या पुनः प्रकाशनार्थ अपने रिकॉर्ड में सुरक्षित रखने, इसे पुनः प्रस्तुत करने के लिए अपनाने, अनुदित रूप तैयार करने अथवा इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल, फोटोकॉपी तथा रिकॉर्डिंग आदि किसी भी पद्धति से इसका उपयोग करने हेतु पुस्तक के लेखक की पूर्वानुमति लेना अनिवार्य है।       

    —-

    भूमिका

    हिंदी भाषा (सुझाव और विमर्श) - मेरी नवीनतम पुस्तक का शीर्षक है।

    इस पुस्तक को हिंदी संबंधी मेरे अनुभवों से ओतप्रोत करने की पूरी कोशिश की गई है। ज्यादातर लेख गूढ़ हिंदी भाषा से ही संबंधित हैं । कुछेक लेख माहौल को हल्का करने के लिए हैं, जैसे - स्टार्ट स्पीकिंग हिंदी, श्राद्ध हिंदी का। इस पुस्तक का मूल उद्देश्य बच्चों को हिंदी सिखाने की विधा को बेहतर बनाना है और बच्चों को बेहतर हिंदी सिखाना है। जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों  के और विभिन्न भाषाओं के लोगों के उच्चारण पर विशेष गौर किया गया है। हिंदी सीखने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी विचार रखे गए हैं।

    ‘हम हिंदी क्यों पढ़ते हैं?’ से लेकर, राष्ट्रभाषा -राजभाषा – हिंदी दिवस, उच्चारण, व्यावहारिक हिंदी, ऐसे सिखाएँ हिंदी, हिंदी वर्तनी में परिवर्तन , बोलना - पढ़ना और लिखना जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लेख इस पुस्तक में आपको पढ़ने को मिलेंगे।

    कई जगह आप देखेंगे कि विषय की जरूरत के अनुसार कुछ अंशों की यहाँ-वहाँ पुनरावृत्ति हुई है। विषय की जरूरत के अनुसार पुनरावृत्ति को स्वीकृति दी गई है। मेरी पूर्व पुस्तक के कुछ लेख जो सही लगे, यहाँ जोड़े भी गए हैं ताकि हिंदी की एक पूरी लेख - मंजूषा पाठकों को एक जगह उपलब्ध हो सके।

    इस पुस्तक को यहाँ तक पहुँचाने में मुझे श्रीमती मीना शर्मा जी का पूरा - पूरा साथ मिला। पुस्तक की प्रूफ रीडिंग का पूरा भार मीना जी ने ही उठाया। उनके शैक्षणिक अनुभव ने पुस्तक को त्रुटिरहित करने में बहुत योगदान दिया। पुस्तक का कवर भी मीना जी ने ही बनाया है। इसलिए इस पुस्तक के प्रकाशन का ज्यादातर श्रेय श्रीमती मीना शर्मा जी को जाता है। उनका विशेष आभार व्यक्त करता हूँ जो जरूरी ही नहीं बल्कि मेरी नैतिक जिम्मेदारी भी है। पुस्तक में और पृष्ठ आवरण पर लगी उच्चारण तकनीक की तालिका को बनाकर मेरी जानकार हिंदी अधिकारी सुश्री अन्नु मिश्रा ने पुस्तक को और अच्छा करने में सहयोग किया है। मैं सुश्री अन्नु मिश्रा जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ।

    आप मानेंगे ही कि प्रकाशक एक पुस्तक को मूर्तरूप देने में एक प्रमुख कड़ी होता है। प्रकाशक की सहायता के बिना किसी भी पुस्तक का सही समय और सही रूप में प्रकाशित होना असंभव ही होता है। इसलिए मैं बुक रिवर्स पब्लिकेशंन्स को धन्यवाद देता हूँ।

    इन सबके अलावा श्री. एम एस सिंगला, डॉ. रवींद्र पाठक और डॉ. दलसिंगार यादव जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ, जिनके लेखों से पुस्तक में उद्धृत किया गया है।

    पुस्तक में समाहित लेखों के लिए जहाँ से भी संदर्भ लिए गए हैं उनकी आभार सहित सूची लगाई गई है।

    मुझे विश्वास है कि हिंदी प्रेमियों को यह पुस्तक लाभान्वित करेगी और पसंद आएगी। शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होने के कारण पुस्तक का मूल्य भी जितना हो सके निम्नतम रखने की कोशिश की गई है। पाठकों से आशा करता हूँ कि किसी सुधार की आवश्यकता महसूस हो तो सूचित करें, आभारी रहूँगा।

    मैं अपनी यह पुस्तक मेरी प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका आदरणीया एम. (मोडेक्रुत्ति) कृष्णवेणी जी को सादर समर्पित करता हूँ।

    माडभूषि रंगराज अयंगर

    वेस्ट वेंकटापुरम,

    सिकंद्राबाद 500015

    मों एवं वाट्सएप. 8462021340

    ईमेल [email protected]

    दिनांक : 13 जुलाई 2022, गुरू पूर्णिमा

    —-

    विषय सूची

    —-

    हिंदी भाषा (सुझाव और विमर्श)        []

    1. हम हिंदी क्यों पढ़ते हैं ?

    हम हिंदी क्यों पढ़ते हैं ? यह एक अहम सवाल है और हर भारतीय (या कहें हिंदुस्तानी) के मन में स्वभावतः उठना चाहिए।

    पहला कारण - यह कि जिन लोगों की मातृभाषा हिंदी है, उन्हें हिंदी इसलिए सीखना चाहिए कि वह उनकी मातृभाषा है, मातृभाषा को जानना जरूरी है ।

    केवल इसलिए ही नहीं कि वह मातृभाषा है बल्कि इसलिए भी कि सारे रिश्तेदार उसी भाषा में संपर्क करते होंगे। हो सकता है कि परिवार में पत्राचार आदि भी इसी भाषा में किए जाते हों ।

    दूसरा कारण - यदि आप हिंदी भाषी प्रदेश में रहते हैं, तो आप के चारों ओर हिंदी का माहौल होता है। निश्चित ही वहाँ की संपर्क भाषा भी हिंदी होगी। इसलिए हिंदी भाषी इलाके में रहने वाले को हिंदी सीखनी पड़ती है अन्यथा वह आस - पास के लोगों से (दोस्तों से भी) अलग-थलग रह जाएगा। कई सरकारी व इलाके के संस्थानों की सूचनाएँ व जानकारी हिंदी में ही दी जाती होंगी – आप उन्हें समझने - जानने से वंचित रह जाओगे।

    तीसरा कारण - यह कि हिंदी का साहित्य बहुत ही धनी है। हिंदी जानने से आप हिंदी साहित्य पढ़ पाएँगे और उसमें समाहित जानकारी हासिल कर पाएँगे। हाँ, इसके लिए आपका साहित्य में रुचि होना, आवश्यक है। यदि आप साहित्य में रुचि नहीं रखते तो यह कारण आपके लिए हिंदी सीखने को प्रेरित नहीं करता। साहित्य का मतलब हिंदी संबंधी लेख ही नहीं वरन् कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, कार्टून, सिनेमा, गाने  इत्यादि भी है।

    चौथा कारण - उत्तर भारत में पूरी तरह व दक्षिण भारत में शायद 60-65 प्रतिशत शहरी लोग हिंदी जानते हैं। इसलिए हिंदी जानने से आपको पर्यटन के दौरान संवाद करने में आसानी होगी। अब सवाल उठता है कि हर कोई पर्यटन क्यों करे ?  हाँ, बात तो सही है, परंतु पर्यटन के भी कई कारण होते हैं जैसे बिजिनेस में सामान की खरीद - बिक्री के लिए, जगह से परिचित होने के लिए व इतिहास के स्मारकों के दर्शन के लिए , प्रकृति का आनंद लेने के लिए, उच्च-उच्चतर पढ़ाई के लिए, नौकरी की खोज (अपनी और अपनों की भी) में,

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