PRAYAYVACHI SHABDKOSH (POCKET SIZE)
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About this ebook
V & S Publishers ne hindi bhashi pathko kh jarurat ko mahsus kar prayayvachi shabdkosh ka sankalan kiya hai. Prastut prayayvachi shabdkosh ko sarvsadhanran ke liye aur bhi adhik upyogi banane hetu isme sankalan mul ke de samanarthak aur tadbhav shabdo ke sath arbi, Farsi, purtgali, ditch, French aadi bhashao ks un shabdo ko bhi sammilit kiya hai, jo hindi shabdo ke prayay ban chuke hai. Yah shabdkosh hindi aur ahindi bhasha dono pathko ke liye saman rup se upyogi hai. Iske sath sanchipt vilom shabdkosh ko bhi prakashit kiya gya hai.
Yah shabdkosh vibbhin pratiyogi pariksha me sammilit hone wale pratiyogiyo ke sath school va colleges me adhayayan karne wale sabhi chhatra/chhatraon ke liye bhi saman rup se upyogi hai.
Prastut prayayvachi shabdkosh ke ant me pathko ki jankari ke liye kuch parishist bhi jode gye hai, jinme muhavre vilom shabdo par vadharit padbandh, bhinnarthak shabd sammocharit shabd, sahchar shabd tatha anek shabdo ks liye ek shabdo ke parishisat shamil hai. Jinka prayog pathak rotmarra ki jindgi me karte hai.
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PRAYAYVACHI SHABDKOSH (POCKET SIZE) - ARUN SAGAR ANAND
सिविल सर्विस, बैंक पी.ओ, रेलवे, टी.ई.टी, स्कूल व कॉलेज के छात्र-छात्राओं एवं सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए विशेषत: उपयोगी
अरुण सागर 'आनन्द'
प्रकाशक
F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002
23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028
E-mail: [email protected] • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय:
हैदराबाद मुम्बई
हमारी सभी पुस्तकें www.vspublishers.com पर उपलब्ध हैं
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-505713-3-0
संस्करण:
भारतीय कॉपीराइट एक्ट के अन्तर्गत इस पुस्तक के तथा इसमें समाहित सारी सामग्री (रेखा व छायाचित्रों सहित) के सर्वाधिकार प्रकाशक के पास सुरक्षित हैं। इसलिए कोई भी सज्जन इस पुस्तक का नाम, टाइटल डिजाइन, अन्दर का मैटर व चित्र आदि आंशिक या पूर्ण रूप से तोड़-मरोड़ कर एवं किसी भी भाषा में छापने व प्रकाशित करने का साहस न करें, अन्यथा कानूनी तौर पर वे हर्जे-खर्चे व हानि के जिम्मेदार होंगे।
प्रकाशकीय
वी एण्ड एस पब्लिशर्स ने पिछले दिनों विज्ञान से सम्बन्धित कई शब्दकोश प्रकाशित किये हैं। इसी क्रम में जब हमारा ध्यान मातृभाषा हिन्दी की ओर गया तो बाजार में हिन्दी से सम्बन्धित अन्य शब्दकोशों की कमी को महसूस करते हुए पर्यायवाची शब्दकोश संकलित करने का निश्चय किया गया। हमारे निर्देशानुसार लेखक अरुण सागर ‘आनन्द' ने लम्बे समय तक परिश्रम करने पश्चात् छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, लेखकों, कवियों तथा तमाम हिन्दी प्रेमी पाठकों की जरूरतों को देखते हुए हिन्दी पर्यायवाची शब्दकोश का संकलन किया है। इस पर्यायवाची शब्दकोश में पाठकों की सुविधा के लिए शब्दों का संपादन वर्णमाला अनुक्रम के अनुसार किया गया है। शब्द पर्याय के लिए तत्सम्, तद्भव, देशज, विदेशज आदि सभी प्रकार के शब्दों का संकलन किया गया है। वैसे आंचलिक शब्दों को इस शब्दकोश से हटा दिया गया हैं जिसकी सर्वमान्यता पर किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न हो।
हमें पूर्ण विश्वास है कि प्रस्तुत पर्यायवाची शब्दकोश पाठकों के शब्द सामर्थ्य को बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी साबित होगा। प्रकाशन सम्बन्धी किसी त्रुटि या भूल सुधार के लिए पाठकों से सुझाव सादर आमन्त्रित हैं।
आपकी सेवा में सदैव समर्पित
प्रस्तावना
प्रिय छात्रगण,
वर्तमान समय कठिन प्रतियोगिता का है लेकिन प्रतिभाशाली व्यक्ति प्रत्येक परिस्थिति में सफलता प्राप्त कर लेते हैं। एक सफल प्रतियोगी में दृढ़-इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत एवं सटीक रणनीति का होना अतिआवश्यक हैं। इस सटीक रणनीति का एक हिस्सा सर्वोत्तम पुस्तकों का चयन करना है।
हिन्दी भाषा को सामान्य रूप से व्यक्त करने के लिए पर्यायवाची तथा विलोम शब्दों की आवश्यकता हर विद्यार्थी को होती है, खासकर आई.ए.एस की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को। इसके बगैर हिन्दी में उत्कृष्ट लेखन संभव नहीं है।
प्रस्तुत शब्दकोश ने भाषण, संवाद लेखन एवं साहित्य सृजन में सामान्य रूप से प्रयुक्त होने वाले शब्द तथा उनके सटीक पर्यायवाची व विलोम शब्द उपलब्ध कराये गये हैं। इसके अतिरिक्त सामान्य रूप से हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले उर्दू शब्दों तथा उनके पर्याय व विलोम शब्दों को भी इस कोश में सम्मिलित किया गया है, जिससे इसकी उपयोगिता और बढ़ गयी है।
मैं उम्मीद करता हूँ कि यह शब्दकोश सभी हिन्दी एवं अहिन्दी भाषियों के लिए उपयोगी साबित होगा। किसी भी भाषा को साहित्यिक दृष्टि से बोलने, लिखने तथा उनकी हमें शुद्धता के लिए उन सटीक शब्दों की ज़रूरत होती हे, जो हिन्दी साहित्य की गरिमा ने चार चाँद लगा दे। साहित्य के सृजन में पर्यायवाची एवं विलोम शब्दों का अपना महत्व है।
इस कोश में भाषा की शुद्धता पर पूरा ध्यान रखा गया है और यदि इसका क्रमबद्ध रूप से अध्ययन किया जाये तो सामान्य अध्ययन पर कम से कम श्रम में अधिक से अधिक शब्दों को स्मरण किया जा सकता है।
आशा है कि यह कोश उपयुक्त शब्द तलाश करने वालों और आई.ए.एस. प्रतियोगिता के साथ अन्य सभी प्रतियोगी छात्रों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगा।
अ
अ—देवनागरी और संस्कृत कुटुंब की अन्य वर्णमालाओं का पहला अक्षर और स्वर वर्ण है। इसका उच्चारण स्थान कंठ है। व्यंजन वर्णों का उच्चारण 'अ' वर्ण की सहायता के बिना नहीं हो सकता। यथा क+अ = क, ख+अ = ख आदि वर्ण अकार के साथ बोले और लिखे जाते हैं। उपसर्ग के तौर पर 'अ' का प्रयोग करने से यह रहित, उलटा के अर्थां में प्रयुक्त होते हैं। उदाहरण- स्वस्थ-अस्वस्थ। स्वस्थ के पूर्व 'अ' वर्ण का प्रयोग करने से इसका अर्थ उलटा हो जाता है।
अंक—1. संख्या, नंबर, आँकड़ा; 2. निशान, चिन्ह, छाप; 3. गोद, अंकवार, आँक; 4. दाग,धब्बा।
अंकन—अनुरेखन, प्रत्यंकन, अनुरेखण, रेखानुरेखण, अक्स बनाना, ख़ाका बनाना, लेखन।
अँकाई—मूल्यांकन, अंदाजा, की क्रिया।
अँकुर—अँखुआ, आँख, कोंपल, कलिका, नोक, प्ररोह, कनखा, भराव, उपरोपिका, किसलय, नवपल्लव।
अंकुश—1. दबाव, रोक, अकुंसी, गजांकुश; 2. हाथी को नियंत्रित करने की कील; 3. नियंत्रित करने या रोकने का तरीका।
अंग—1. भाग, अवयव, हिस्सा, संघटक, घटक, उपादान; 2. अंश, खंड, टुकड़ा; 3. शरीर, तन, देह, गात, गात्र।
अंगज—1. बेटा, लड़का, सुत, सुवन, आत्मज, तनुज़, तनय, नन्दन, लाल, पुत्र; 2. रोम, केश, बाल।
अंगजा—बेटी, लड़की, सुता, आत्मजा, तनुजा, तनया, नंदिनी, दुहिता, पुत्री।
अँगड़ाई—आलस्य दूर करने के लिए शरीर को खींचना, मोड़ना, चेतन होने के लिए उपक्रम करना।
अंगद—1. बाजूबंद, भुजबंध; 2. बालिपुत्र, बालिकुमार, तारेय, बालितनय।
अँगना—कामिनी, वामा, सुंदरी, सुमुखी।
अंग-भंग करना—अपंग करना, विकलांग करना, अंगहीन करना, हाथ-पैर काट देना; 2. मोहित करने के निमित, स्त्री की कटाक्ष क्रिया।
अंगार—चिनगारी, अँगारा, दहकता हुआ कोयला, धुँआरहित कोयला।
अंगिया—वक्ष-स्थल को ढँकने के लिए स्त्रियों द्वारा प्रयुक्त अंतर्वस्त्र, बॉडिस, चोली, कुरती, कंचुकी।
अंगी—1. मुख्य, प्रमुख, प्रभावकारी; 2. रस प्रमुख भाव।
अंगीकारण—स्वीकार, स्वीकारोक्ति आत्म-स्वीकृति, कबूल करना, अंगीकार, मंजूर।
अंगीठी—प्रतप्त कोयलों का समुह रखने को एक पात्र, बोरसी, अतिशदान, सिगड़ी।
अँगूठी—मुद्रा, मुँदरी, छल्ला, मुद्रिका, अंगुष्ठिका, अंगुलिमुद्रा, अँगुश्तरी।
अंगूर—दाख, किशमिश, द्राक्षा।
अँगोछा—गमछा, तौलिया, उपवस्त्र।
अँग्रेज़—फिरंगी, गोरा, आंग्लदेशी।
अंचल—1. आँचल, पल्ला, पल्लू, छोर; 2. सीमा प्रदेश (सीमांत) क्षेत्र; 3. किनारा, तट।
अंजन—1. सुरमा, काजल; 2. आँजन, काजल।
अंजुमन—संघ, सभामण्डली, सभायोजन, संगठन।
अँटसँट—अंडबंड, अव्यवस्थित, अनावश्यक, अनुपयुक्त, ऊटपटांग।
अंड—1. अंडा, डिंबा; 2. अंडकोश, फोता।
अंत—1. समाप्ति, इति, इतिश्री; 2. छोर, किनारा, सिरा; 3. मृत्यु, मरण; 4. नाश, उन्मुलन, निरसन, उत्सादन; 5. फल, नतीजा, अंजाम, परिणाम।
अंत:करण—अंतर्मन, अंतरात्मा, हृदय, मन।
अँतड़ी—आँत, अंतड़ी, अन्त्र।
अंत:पुर—ज़नानखाना, रनिवास, हरपखाना, महल के भीतर स्त्रियों के रहने की जगह।
अंतर—1. भेद, फर्क; 2. आड़, परदा, ओट; 3. फासला, दूरी।
अंतरात्मा—अंत:करण, अंतर्मन, हृदय।
अंतरिक्ष—अंबर, आकाश, आसमान, अनत, गगन, नभ, व्योम, महाव्योम, शून्य, ज्योतिष्पथ।
अंतर्गत—शामिल, सम्मिलित, भीतर आया हुआ गुप्त।
अंतर्दृष्टि—ज्ञानचक्षु, सूझ, आत्मचिन्तन।
अंतर्द्वंद्व—मानसिक संघर्ष, दुविधा।
अंतर्धान—ओझल, गायब, लुप्त, अदृश्य।
अंतर्हित—अदृश्य, छिपा हुआ, गायव, लुप्त, गुप्त, तिरोहित।
अंदाज़—1. अनुमान, अटकल; 2. नाप-जोख, कूत, परिणाम 3. ढंग; 4. हाव-भाव, भाव, मटक, ठसक।
अंदेशा—1. सोच, चिन्ता, फिक्र, खटका; 2. भय, खतरा, भास; 3. संदेह, आशंका; 4. दुविधा, असमंजस, पसोपेश।
अंधकार—अंधेरा, अंधेरी, अँधियारा, अँधियारी, तम, तिमिर, तमस, कालिमा, धुन्धकार।
अंधकारमय—तमोमय, तमाच्छादित तिमिरावृत्त।
अंधा—1. अंध, नेत्राहीन, चक्षुहीन, सूरदास; 2. मूर्ख, अज्ञानी, विवेकशून्य।
अँधेर—1. अँधेरखाता, धाँधली, अन्याय, बेइंसाफी; 2. अशांति, विप्लव।
अंधेरी रात—तमी, तामसी, तमस्विनी, श्यामा।
अंब—1. अंबा, माता, जननी।
अंबर—1. आकाश, आसमान, गगन; 2. कपडा, वस्त्रा, वसन; 3. बादल, मेघ, घन, वारिद, नीरद।
अंबार—ढेर, राशि।
अंबिका—1. माता, माँ; 2. पार्वती, देवी, दुर्गा, देवकन्या; 3. अंबाष्ठालता।
अंश—1. हिस्सा, भाग, अवयव, खंड टुकडा; 2. अंश की भिन्न की रेखा से ऊपर संख्या।
अंशु—किरण, प्रभा, ज्योति, सूर्य।
अकड़—1. ऐंठ, तनाव, 2. अभिमान, घमंड, शेखी; 3. धृष्टता, ढिठाई।
अकड़ जाना—कठोर हो जाना, पथरा जाना, ऐंठ जाना।
अकथ—अनिर्वाच्य, अवाच्य, अवचनीय, अकथ्य, वर्णनातीत, अवर्णनीय।
अकल्याण—1. अशुभ, अमंगल; 2. अहित, अनिष्ट, खराबी, हानि।
अकत्मात्—अचानक, सहसा, तत्क्षण, संयोगयश, अकारण, अनायास, दैवयोग, यकायक, हठात्, एकाएक, एकदम।
अकारण—बेमतलब, बेबात, बेवजह, बेसबब, नाहक, कारणरहित, निष्प्रयोजन।
अकारथ—बेकार, व्यर्थ।
अकाल—1. दुर्भिक्ष, भुखमरी, कुसमय, काल दुष्काल; 2. महँगी, मूल्यवृद्धि, तेजी।
अकिंचन—तुच्छ, दरिद्र, गरीब, निर्धन, कंगाल, दीन।
अकुलाना—1. आकुल होना, घबराना, व्याकुल होना, अधीर होना; 2. ऊबना, उकताना।
अकृतज्ञ—कृतघ्न, एहसानफ़रामोश।
अकेला—1. एकाकी, तनहा, एकमात्र, अद्वितीय, अनन्य; 2. अकेले-अकेले, अकेले-दम।
अकेलापन—एकांतिकता, एकांतवास, एकाकीपन, विविक्तता।
अक्खड़—अनौपचारिक, धृष्ट, नियम विरुद्ध, शिष्टाचार विहीन, गैररस्मी, बेतकल्लुफ़।
अक्षर—1. वर्ण, हरुफ; 2. अविनाशी।
अकसर—प्राय: बहुधा, अधिकतर, प्रायश; अधिकांशत:।
अखंड—1. पूरा, समूचा, पूर्ण, अविभक्त; 2. अजस्र, निरंतर, लगातार; 3. अक्षय, अक्षुण्ण।
अखंडता—सततता, निरंतरता, अविच्छेदिता, अविच्छिन्नता, अच्छिन्नता, पूर्णता।
अखराना—1.