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सर्वहित

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दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीति में सर्वहित (common good, common weal) किसी संगठन, समुदाय, राज्य, राष्ट्र या अन्य जन-समूह के सभी या अधिकांश सदस्यों की भलाई के ध्येय को कहते हैं, जिसे नागरिकता, सामूहिक प्रयास, सरकरी परियोजनाओं या अन्य विधियों द्वारा प्राप्त करने की कोशिश करी जाती है। सामाजिक जीवन में ऐसी कई परिस्थितियाँ होती हैं जिसमें अगर सभी लोग केवल अपने लाभ के लिए काम करे तो सभी को हानि पहुँचती है जबकि सर्वहित को ध्यान में रखकर काम करने से सभी के जीवनस्तर में सुधार होता है। मसलन किसी भी नागरिक के लिए कर (टैक्स) न देना उसके निजी फ़ायदे में माना जा सकता है लेकिन यही सर्वहित में सभी से कर न लिया जाए तो यातायात, रक्षा, शिक्षा, अपराध की रोकथाम, आपातकालीन सहायता, इत्यादि लगभग जीवन के सभी पहलुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है।[1][2]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Dupré, Louis (5 August 2009). "The Common Good and the Open Society". The Review of Politics. 55 (04): 687. doi:10.1017/S0034670500018052.
  2. Diggs, B. J. (1973-01-01). "The Common Good as Reason for Political Action". Ethics. 83 (4): 283. doi:10.1086/291887. JSTOR 2379966.