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ऊष्मा धारिता

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किसी पदार्थ के द्रव्यमान का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस पदार्थ की ऊष्मा धारिता (Heat capacity) कहते हैं। इस भौतिक राशि का एस आई मात्रक जूल प्रति केल्विन (J/K) है। ऊष्मा धारिता की विमा [M1L2T-2Θ-1] है।

सूत्र के रूप में,

जहाँ, C पदार्थ की ऊष्मा-धारिता है।

विशिष्ट ऊष्मा

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किसी १ द्रव्यमान वस्तु में १° सेल्सियस ताप-परिवर्तन करनेवाली ऊष्मा को उसकी विशिष्ट उष्मा (स्पेसिफ़िक हीट) कहते हैं। किसी वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा S हो तो उसके m ग्राम का ताप t डिग्री सेल्सियस बढ़ाने में m S t कलरियाँ व्यय होती हैं।

किसी वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम उसको ऊँचे ताप तक गरम करते हैं और फिर उसको एक आंशिक रूप से पानी भरे बरतन (कलरीमापी) में डाल देते हैं। वस्तु के ठंडी होने में जितनी कलरियाँ मिलीं उनको कलरीमापी और पानी द्वारा प्राप्त कलरियों के बराबर रखकर विशिष्ट ऊष्मा की गणना कर लेते हैं।

विशिष्ट ऊष्मा निकालने की एक अन्य विधि यह भी है कि पदार्थ के ऊपर इतनी भाप को प्रवाहित करें कि उसका ताप बढ़कर भाप के ताप के बराबर हो जाए। यदि इस विधि में m ग्राम भाप संघनित (कनडेन्स) होती है तो उसके पानी बनने में m L कलरी प्राप्त होती हैं (L = गुप्त ताप)। इसको पदार्थ द्वारा शोषित ऊष्मा के बराबर रखकर विशिष्ट ऊष्मा की गणना कर लेते हैं।

तापवृद्धि के समय बाह्य स्थिति के अनुसार पदार्थों की विशिष्ट ऊष्मा के अनेक मान होते हैं। एक तो स्थिर आयतनवाली विशिष्ट ऊष्मा होती है जो उसकी आंतरिक ऊर्जा से संबंधित रहती है। मापन क्रिया के समय आयतन में परिवर्तन होने के कारण आयतनवृद्धि के लिए कार्य करना पड़ता है और तापवृद्धि के साथ साथ कुछ ऊष्मा की इस काम के लिए भी आवश्यकता होती है। काम की मात्रा दाब के आश्रित है और यदि यह दाब स्थिर न हो तो यह मात्रा भी परिवर्तित होगी। इसीलिए स्थितियों में भेद होने के कारण विशिष्ट ऊष्मा के अनेक मान होते हैं, किन्तु सुविधा के लिए केवल दो पर ही विचार किया जाता है। एक का सम्बन्ध स्थिर आयतन और दूसरे का स्थिर दाब से है और इनको क्रमानुसार Cv और Cp लिखा जाता है। ठोसों और द्रवों में तापीय प्रसरण अपेक्षाकृत कम होता है, अत: विशिष्ट ऊष्मा के अनेक मान लगभग बराबर होते हैं किन्तु गैसों में इनमें बहुत अन्तर होता है। बहुपरमाण्वीय अणुओं में विशिष्ट ऊष्मा को अणुभार से गुणा करने पर उनकी आणव ऊष्मा (मॉलिक्युलर हीट) और एक परमाणुक अणुओं में विशिष्ट ऊष्मा को परमाणुभर से गुणा करने पर उनकी पारमाण्वीय ऊष्मा (ऐटॉमिक हीट) प्राप्त होती है। इस संबंध में आदर्श गैसों में यह सूत्र लागू होता है:

Cp - Cv = R

यहाँ पर R पूर्ववर्णित गैस नियतांक है।

इन्हें भी देखें

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